भजन संख्या १. (हरि शरणम्)
हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम्।
हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम्।।
प्रभु इतनी कृपा करना, संग संतों का दे देना।
गुरु चरणों में मन लागे, व सेवा भाव दे देना।।
हरि शरणम्............
कृपा करना हरि मुझ पर, कथा में ध्यान हो मेरा।
करूं किर्तन सदा तेरा, जुबान पे नाम हो तेरा।।
हरि शरणम्...........
मुझे वरदान दो कान्हा, तेरे गुण गाए यह वाणी।
निहारूं रूप को तेरे, बहाऊं आंख से पानी।।
हरि शरणम्...........
उचित व्यवहार संयम ज्ञान, और वैराग्य दे देना।
कभी पर दोष ना देखूं, मुझे संतोष दे देना।।
हरि शरणम्.............
जगत में तू दिखे ऐसी, मेरी दृष्टि बना देना।
सरल छल हीन हो जाऊं, भरोसा तुझ में हो श्यामा।।
हरि शरणम्.............
भजन संख्या २. (जय मोहन माधव गिरधारी)
जय मोहन माधव गिरधारी, केशव मुरलीधर बनवारी।
जय मोहन माधव गिरधारी, केशव मुरलीधर बनवारी।।
मन मंदिर में आन विराजो, राधा के संग श्याम।
धुन वंशी की छेड़ो, मुझको संग नचाओ श्याम।।
सर्वेश्वर मनमोहन तेरी, सूरत है प्यारी प्यारी।
जय मोहन माधव गिरधारी..........
कई जन्मों से भटक रही हूँ पद्मनाभ आ जाओ।
वीराने मन में मनमोहन आ के रास रचाओ।।
नयना तक तक हार गए हैं, मैं तेरे आगे हारी।
जय मोहन माधव गिरधारी..........
तेरी माया तू ही जाने और ना जाने कोई।
जो ना तेरी ओर चली वो पकड़ के मस्तक रोई।।
कृपा तेरी पर है मधुसूदन, निर्भर हैं बातें सारी।
जय मोहन माधव गिरधारी...........
भजन संख्या ३. (भज नारायण)
भज नारायण, भज नारायण, नारायण भज रेे मन तू।
भज नारायण, भज नारायण, नारायण भज रेे मन तू।।
अत्याचारी लोगों के जब पाप कर्म बढ़ जाते हैं।
भले लोग इन लोगों के पापों से जब भय खाते हैं।
मानवता की रक्षा करने नारायण तब आते हैं।।
भज नारायण भज नारायण..........
वराह रूप रसातल से पृथ्वी को बाहर थे लाए।
मन्वन्तर की रक्षा को थे मत्स्य रूप में हरि आए।
सागर मंथन को नारायण कच्छप जैसे बन आए।।
भज नारायण भज नारायण..........
नृसिंह बन नारायण ने था हिरण्यकशिपु उद्धार किया।
वामन रूप में देव बचाए बली पर भी उपकार किया।
परशुराम अवतार में आकर पापियों का संहार किया।।
भज नारायण भज नारायण..........
राम चन्द्र जी ने रावण और कुंभकर्ण उद्धार किया।
स्वयं कृष्ण ने लीलाओं से भक्तों पर उपकार किया।
पाप मिटाया पृथ्वी से और धर्म का जय जयकार किया।।
भज नारायण भज नारायण..........
भजन संख्या ४ (श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी)
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
बड़ी ही सुंदर छवि है कान्हा,
हो कैसे वर्णन कोई ना जाना।
हृदय कमल में मेरे वीराजो,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
गले में वनमला सोहे सुंदर,
मेघा सा रंग, सुंदर पीताम्बर।
वक्ष स्थल पर मणि सुहाए,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
कानों में कुण्डल सर पे मुकुट है,
चित को चुराए टेढ़ी भृकुटी है।
अद्भुत यह क्या रूप की माधुरी है,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
चंदन से चर्चित श्री अंग सारा,
अधरों पे बंसी चित्त का सहारा।
बंसी बजैया गोपियन का प्यारा,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
भजन संख्या: ५ (यशोमती नंदन राधे श्याम)
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
सर पर सुंदर मुकुट सुहावे, जो भी देखे अति सुख पावे।
कृष्ण नाम जो मुख से बोले, जीवन में वो कभी ना डोले।।
देवकी पुत्र कृष्ण भगवान, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
अधरों पे बंसी क्या सोहे, रूप माधुरी मन को मोहे।
लाखों काम देव भी क्या हैं, बाल कृष्ण की छवि जहां है।।
गोपिअन के प्रियतम श्रीकांत, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
मनमोहन वासुदेव सुदर्शन, नयनम में तेरा ही दर्शन।
भक्ति दे दो हे सर्वेश्वर, चरणों में ले लो परमेश्वर।।
ज्ञान विरक्ति का वरदान, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
हृदय कमल में गोविंद आओ, केशव माधव दर्श दिखाओ।
धुन मुरली की मुझे सुनाओ, राधा के संग गोविंद आओ।।
मन में बसो प्रभु आठों याम, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
भजन संख्या ६. (भज मन सिया राम का नाम)
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
भव भय हरने वाले राम, सब सुख करने वाले राम।
काटें तीन ताप के फंदे, भले बुरे सब उसके बंदे,
मेरे राम हैं सुख के धाम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
मोहिनी आंखों वाले राम, मुख, कर, पद सब कमल समान।
लाखों कामदेव भी क्या हैं, राम चन्द्र की छवि जहां है।
नीर भरे मेघा से श्याम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
सर पर सुंदर मुकुट सुहावे, जो मुख देखे अति सुख पावे।
राम राम जो मुख से बोले, जीवन में वो कभी ना डोले।
पार उतारें प्यारे राम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
दीन दुःखी की पीड़ा हरते, दैत्य सदा रघुवर से डरते।
मन मंदिर में आओ राम, हृदय कमल पर बैठो राम।
भक्ति का दीज्यो वरदान, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम्।
हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम् , हरि शरणम्।।
प्रभु इतनी कृपा करना, संग संतों का दे देना।
गुरु चरणों में मन लागे, व सेवा भाव दे देना।।
हरि शरणम्............
कृपा करना हरि मुझ पर, कथा में ध्यान हो मेरा।
करूं किर्तन सदा तेरा, जुबान पे नाम हो तेरा।।
हरि शरणम्...........
मुझे वरदान दो कान्हा, तेरे गुण गाए यह वाणी।
निहारूं रूप को तेरे, बहाऊं आंख से पानी।।
हरि शरणम्...........
उचित व्यवहार संयम ज्ञान, और वैराग्य दे देना।
कभी पर दोष ना देखूं, मुझे संतोष दे देना।।
हरि शरणम्.............
जगत में तू दिखे ऐसी, मेरी दृष्टि बना देना।
सरल छल हीन हो जाऊं, भरोसा तुझ में हो श्यामा।।
हरि शरणम्.............
भजन संख्या २. (जय मोहन माधव गिरधारी)
जय मोहन माधव गिरधारी, केशव मुरलीधर बनवारी।
जय मोहन माधव गिरधारी, केशव मुरलीधर बनवारी।।
मन मंदिर में आन विराजो, राधा के संग श्याम।
धुन वंशी की छेड़ो, मुझको संग नचाओ श्याम।।
सर्वेश्वर मनमोहन तेरी, सूरत है प्यारी प्यारी।
जय मोहन माधव गिरधारी..........
कई जन्मों से भटक रही हूँ पद्मनाभ आ जाओ।
वीराने मन में मनमोहन आ के रास रचाओ।।
नयना तक तक हार गए हैं, मैं तेरे आगे हारी।
जय मोहन माधव गिरधारी..........
तेरी माया तू ही जाने और ना जाने कोई।
जो ना तेरी ओर चली वो पकड़ के मस्तक रोई।।
कृपा तेरी पर है मधुसूदन, निर्भर हैं बातें सारी।
जय मोहन माधव गिरधारी...........
भजन संख्या ३. (भज नारायण)
भज नारायण, भज नारायण, नारायण भज रेे मन तू।
भज नारायण, भज नारायण, नारायण भज रेे मन तू।।
अत्याचारी लोगों के जब पाप कर्म बढ़ जाते हैं।
भले लोग इन लोगों के पापों से जब भय खाते हैं।
मानवता की रक्षा करने नारायण तब आते हैं।।
भज नारायण भज नारायण..........
वराह रूप रसातल से पृथ्वी को बाहर थे लाए।
मन्वन्तर की रक्षा को थे मत्स्य रूप में हरि आए।
सागर मंथन को नारायण कच्छप जैसे बन आए।।
भज नारायण भज नारायण..........
नृसिंह बन नारायण ने था हिरण्यकशिपु उद्धार किया।
वामन रूप में देव बचाए बली पर भी उपकार किया।
परशुराम अवतार में आकर पापियों का संहार किया।।
भज नारायण भज नारायण..........
राम चन्द्र जी ने रावण और कुंभकर्ण उद्धार किया।
स्वयं कृष्ण ने लीलाओं से भक्तों पर उपकार किया।
पाप मिटाया पृथ्वी से और धर्म का जय जयकार किया।।
भज नारायण भज नारायण..........
भजन संख्या ४ (श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी)
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
बड़ी ही सुंदर छवि है कान्हा,
हो कैसे वर्णन कोई ना जाना।
हृदय कमल में मेरे वीराजो,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
गले में वनमला सोहे सुंदर,
मेघा सा रंग, सुंदर पीताम्बर।
वक्ष स्थल पर मणि सुहाए,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
कानों में कुण्डल सर पे मुकुट है,
चित को चुराए टेढ़ी भृकुटी है।
अद्भुत यह क्या रूप की माधुरी है,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
चंदन से चर्चित श्री अंग सारा,
अधरों पे बंसी चित्त का सहारा।
बंसी बजैया गोपियन का प्यारा,
हे नाथ नारायण वासुदेव।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
भजन संख्या: ५ (यशोमती नंदन राधे श्याम)
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
सर पर सुंदर मुकुट सुहावे, जो भी देखे अति सुख पावे।
कृष्ण नाम जो मुख से बोले, जीवन में वो कभी ना डोले।।
देवकी पुत्र कृष्ण भगवान, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
अधरों पे बंसी क्या सोहे, रूप माधुरी मन को मोहे।
लाखों काम देव भी क्या हैं, बाल कृष्ण की छवि जहां है।।
गोपिअन के प्रियतम श्रीकांत, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
मनमोहन वासुदेव सुदर्शन, नयनम में तेरा ही दर्शन।
भक्ति दे दो हे सर्वेश्वर, चरणों में ले लो परमेश्वर।।
ज्ञान विरक्ति का वरदान, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
हृदय कमल में गोविंद आओ, केशव माधव दर्श दिखाओ।
धुन मुरली की मुझे सुनाओ, राधा के संग गोविंद आओ।।
मन में बसो प्रभु आठों याम, नंद के लाला सुख के धाम।
यशोमती नंदन, राधे श्याम, नंद के लाला सुख के धाम।।
भजन संख्या ६. (भज मन सिया राम का नाम)
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
भव भय हरने वाले राम, सब सुख करने वाले राम।
काटें तीन ताप के फंदे, भले बुरे सब उसके बंदे,
मेरे राम हैं सुख के धाम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
मोहिनी आंखों वाले राम, मुख, कर, पद सब कमल समान।
लाखों कामदेव भी क्या हैं, राम चन्द्र की छवि जहां है।
नीर भरे मेघा से श्याम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
सर पर सुंदर मुकुट सुहावे, जो मुख देखे अति सुख पावे।
राम राम जो मुख से बोले, जीवन में वो कभी ना डोले।
पार उतारें प्यारे राम, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
दीन दुःखी की पीड़ा हरते, दैत्य सदा रघुवर से डरते।
मन मंदिर में आओ राम, हृदय कमल पर बैठो राम।
भक्ति का दीज्यो वरदान, भज मन सिया राम का नाम।
भज मन सिया राम का नाम, अकारण कृपा करें मेरे राम।
very nice
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